0 बुद्धि की समाप्ति हो सकती है लेकिन श्रद्धा की नहीं: मोरारी बापू
ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर।
राष्ट्रीय संत मोरारी बापू शारदीय नवरात्र के छठवें दिन रामचरित परम पूज्य राष्ट्रीय संत मोरारी बापू शारदीय नवरात्र के छठवें दिन मंगलवार को रामचरितमानस प्रसंग की व्याख्या करते हुए मानस श्री देवी मां जगजननी कात्यानी के सौम्य रूप को प्रणाम करते हुए कथा का शुभारंभ किया।
उन्होंने शिवपुर के बिड़ला गेस्ट हाउस द्वारा संचालित ‘सिद्धपीठ विद्या मंदिर’ में बापू ने बच्चों को प्रेम, सत्य और करूणा का पाठ पढ़ाया, जिससे सभी बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ गया और बापू के पढ़ाते हुए अनुभव को देख वहां के अध्यापक भी बड़े,
हतप्रभ हो गए बापु को
पढ़ाते देख। बापू ने श्री कृष्ण राधा के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि तत्व चिंतन सार्थक चिंतन, गरीब चिंतन ही सार्थक चिंतन है, प्रेमिओ और साधकों के लिए हरि चिंतन सार्थक है, उन्होंने कहा कि हमें सत्कर्म करना चाहिए क्योंकि अच्छे कर्म से ही हम स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं, क्योंकि स्वर्ग या मोक्ष के लिए किसी टिकट या वीजा की आवश्यकता नहीं पड़ती रोने का कोई समय नहीं होता उसी प्रकार मां के गोंद या शरण में जाने का कोई समय नहीं होता है । जो तत्व चिंतन है वही प्रभु चिंतन है, बापू ने कहा कि जो सरिता सिंधु में पहुंच गए हैं अर्थात जो अहम त्याग दिया है वह अपना परिचय नहीं देते, जिसमें किसी का अहित ना हो वह चिंतन करें वह चिंतन ही सार्थक चिंतन होता है, यह दुनिया सात सुरो का संगम है।
10 महाविद्या में त्रिपुर सुंदरी में अच्छे शब्दों का समावेश किया गया है और बताया गया है कि यदि आपके लिए कोई अच्छे शब्द बोल रहा है या आप की कला की तारीफ कर रहा है या आपको महान बता रहा हो तो सबसे पहले देखें यह शब्द कहने वाला कौन है वह जो शब्द बोल रहा है उसकी योग्य है या नहीं क्योंकि जो अयोग्य होगा वह आपकी तारीफ अथवा आप के कला का बखान नहीं बल्कि हंसी उड़ाता है।
बापू ने इसी कड़ी में कहा चर्चिल नाटककार एक बार किसी प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उन्हें नाटक देखने का निमंत्रण देता है और उसमें लिखता है कि यदि आप कल तक प्रधानमंत्री रहते हैं तो कल आप नाटक देखने के लिए नाट्यशाला में पहुंचे इस पर प्रधानमंत्री ने चर्चिल को पत्र लिखा और कहा कि यदि तुम्हारा नाटक कल के बाद परसों तक चलता रहा तो मैं अवश्य परसों नाटक देखने आऊंगा इसी कड़ी में बापू ने एक और कहानी कहा कि एक अंधा आदमी एक सुंदर स्त्री को बार बार कहता रहा कि आप बहुत सुंदर है आप बहुत सुंदर हैं इस पर महिला क्रोधित होकर अपने पति से शिकायत कर दी और कहती है उस अंधे व्यक्ति ने मुझे बार बार यह कह रहा है कि मैं बहुत सुंदर हूं उसको जाकर कुछ कहिए जब यह कथन उसके पति ने सुना दो यह कहने लगा कि हां मैं तो जानता था कि वह अंधा आदमी अंधा नहीं है वह तुम्हें सुंदर कहा इससे पता चलता है कि वह वास्तव में अंधा है भला तुम इस उम्र में सुंदर हो आज बापू ने व्यासपीठ से सभी श्रोताओं को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया।
जब उन्होंने कहा कि अब हम प्रश्न पूछेंगे कौन बनेगा करोड़पति इस पर उन्होंने पूछा कि नूतन का शाब्दिक अर्थ क्या है खानदान फिल्म कौन अभिनेता है सुनील दत्त थे इसी फिल्म का गीत बापू ने प्रस्तुत किया बड़े ही मधुर स्वर में कथा के बीच में ही एक वृद्ध महिला ने कई प्रश्न पूछे बापू उसे बड़े ही कठोर स्वर में लेकिन बापू ने बड़े ही शांत विनम्रता स्वभाव से उसकी प्रश्नों पर हां में हां कहते रहे कथा के अंत में उसे अंगवस्त्रम भेट कर बड़े ही शालीनता व दयालुता का संदेश दिया उन्होंने कहा कि जो सुनता है उसे होता जो पड़ता है उसे पाठक इसी प्रकार से जो कथा कहने वाला होता है उसे कत्थक कहा जाता है तथा का अर्थ होता है नृत्य बापू ने बड़े गंभीरता से कहा कि मजाक जिंदगी में हो लेकिन किसी के जिंदगी से ना हो सुनैना का अर्थ है सुंदर नयन सुंदर नैन उसी की होते हैं जिसके दृष्टि सुंदर होता है और दृष्टि का अर्थ दर्शन हैं बापू ने कहा कि मानस में दो गुप्त पात्र हैं एक तापस और दूसरा तापसी जितनी भी शक्ति के साधन हैं उनके लिए 10 महाविद्या का त्रिपुरसुंदरी का बहुत ऊंचा स्थान है बापू ने कहा कि स्विच ऑफ द का प्रयोग परम पुरुष वाचक भी है और इसकी वाचक भी है यहां पर श्रीदेवी व पर अंबा मां विंध्यवासिनी हैं जिसके अंदर सभी गुण और कला तथा शक्ति विद्यमान हो उसे ही श्रीदेवी कहा जाता है वल्लभ का अर्थ है प्यारा और हम बड़े ही प्यार से कहते हैं राम वल्लभाम। जिसके अंदर कोई संशय होता है वह कभी महान नहीं हो सकता है राम कथा सुनने से सभी संशय समाप्त होता है, बापू ने इसी बापू ने इसी कड़ी में कहा कि दुनिया में किसी की प्रीति और प्रति के बारे में अपने अनुभव या तर्क से नहीं आ सकते हैं कि कि हम कितना भी अनुभवी हो जाएं और कितना भी महान हो जाए लेकिन राम और भरत के प्रति प्रेम को नहीं आंक सकते हैं।
बापू ने कथा के बीच में कुछ श्रोताओं के चिट्टियां वाची जिसमें यह लिखा था कि बापू हृदय दिवस को राम चरित मानस दिवस वैलेंटाइन डे राधा अष्टमी दिवस भक्ति डे पर पहला दिवस सेवक दिवस को हनुमान दिवस शिष्य दिवस को एकलव्य दिवस मदर इन लॉ डे को गंगा सती दिवस के रूप में मनाने की बात कही भरोसा को तर्क से नहीं आंका जा सकता है। दुर्ग का मतलब स्तंभ या पीला होता है दुर्ग वह गेट है जिसे लांग कर वेरी शत्रु हम प्रजापति आक्रमण करता है तो यही दुर्ग हम लोगों को बचाता है अर्थार्थ दुर्ग हमें बाहरी संकटों से बचाता है जबकि दुर्गा हमें बाहरी और आंतरिक हर प्रकार से हमारी रक्षा करती है बापू ने कथा के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि जब सती जलती है तब उनकी बुद्धि समाप्त हो जाती है लेकिन श्रद्धा वही रहती है इससे स्पष्ट किया की बुद्धि की इति हो सकती है लेकिन श्रद्धा कि नहीं।
प्रभु श्रीराम भंडारे प्रभु श्रीराम भंडारे का जायजा मुरारी बापू ने लिया भंडारे में मौजूद प्रभु प्रसाद पाने हेतु 20000 श्रद्धालुओं ने बापू को भंडारे में देखी देखते हुए निहाल हो गए भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर राम रस वागन कर मुरारी बापू को देख श्रद्धालुओं में आपस में आशीर्वाद लेने की होड़ लग गई है।